Dr Chetana Pandey
Kabir
Guru
Hindi

गुरू गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागूं पांय।

बलिहारी गुरू अपने गोविन्द दियो बताय।।


यह तन विष की बेलरी, गुरु अमृत की खान ।

शीश दियो जो गुरु मिले, तो भी सस्ता जान।।


सब धरती काजग करू, लेखनी सब वनराए।

सात समुद्र की मसि करूँ, गुरु गुण लिखा न जाए ।।


निंदक नियरे राखिये, आँगन कुटी छवाये।

बिन पानी साबुन बिना, निर्मल करे सुहाए।।