वासांसि जीर्णानि यथा विहाय नवानि गृह्णाति नरोऽपराणि। तथा शरीराणि विहाय जीर्णान्यन्यानि संयाति नवानि देही॥ २-२२

vāsāṃsi jīrṇāni yathā vihāya navāni gṛhṇāti naro’parāṇi। tathā śarīrāṇi vihāya jīrṇānyanyāni saṃyāti navāni dehī॥ 2-22

जैसे मनुष्य जीर्ण वस्त्रों को त्यागकर दूसरे नये वस्त्रों को धारण करता है वैसे ही देही जीवात्मा पुराने शरीरों को त्याग कर दूसरे नए शरीरों को प्राप्त होता है।

As a man casts off worn-out garments and puts on others that are new, so does the soul cast off its worn-out bodies and enter into others that are new.

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Dr. Chetana Pandey
A Hindi scholar, writer and teacher

परकीया


छाप तिलक

छाप तिलक सब छीनी रे मोसे नैना मिलाइके


प्रेम भटी का मदवा पिलाइके


मतवारी कर लीन्ही रे मोसे नैना मिलाइके


गोरी गोरी बईयाँ, हरी हरी चूड़ियाँ


बईयाँ पकड़ धर लीन्ही रे मोसे नैना मिलाइके


स्तवनम्

Aarti

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता। तुमको निशिदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता॥

वाकोवाक्यम् सम्मान समारोह 2020

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