न कर्मणामनारम्भान्नैष्कर्म्यं पुरुषोऽश्नुते। न च संन्यसनादेव सिद्धिं समधिगच्छति॥ ३-४
na karmaṇāmanārambhānnaiṣkarmyaṃ puruṣo’śnute। na ca saṃnyasanādeva siddhiṃ samadhigacchati॥ 3-4
कर्मों के न करने से मनुष्य नैर्ष्कम्य को प्राप्त नहीं होता और न कर्मों के संन्यास से ही वह पूर्णत्व प्राप्त करता है।
No man can attain freedom from activity by refraining from action; nor can he reach perfection by merely refusing to act.
छाप तिलक सब छीनी रे मोसे नैना मिलाइके
प्रेम भटी का मदवा पिलाइके
मतवारी कर लीन्ही रे मोसे नैना मिलाइके
गोरी गोरी बईयाँ, हरी हरी चूड़ियाँ
बईयाँ पकड़ धर लीन्ही रे मोसे नैना मिलाइके
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता। तुमको निशिदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता॥